“महाराष्ट्र में सियासी महाभारत—शिंदे की ‘कमबैक’ कहानी शुरू!”

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से पहले सत्तारूढ़ महा-युति में शामिल भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिवसेना (शिंदे गुट) के रिश्तों में नई दरारें पड़ती दिख रही हैं।
दोनों पार्टियों में विवाद का कारण है—एक-दूसरे के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करना, जो अब खुलकर तकरार का रूप ले चुका है।

इसी बीच शिवसेना कोटे से मंत्री दादा भुसे ने एक ऐसा राजनीतिक बयान दिया जिसने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है।

“एकनाथ शिंदे फिर मुख्यमंत्री बनेंगे”—दादा भुसे का बड़ा दावा

नंदुरबार में एक रैली को संबोधित करते हुए दादा भुसे ने कहा, “चिंता मत करें… किस्मत में जो लिखा है, वही होगा। हम एक बार फिर से एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का नेतृत्व करते देखेंगे।” उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर जनता से पूछा जाए कि उनके दिल में कौन-सा मुख्यमंत्री बसता है, तो अधिकांश लोग एकनाथ शिंदे का ही नाम लेंगे।

दादा भुसे का कहना है कि शिंदे ऐसे मुख्यमंत्री थे जो देर रात तक आम लोगों से मिलते थे, रोज़ 20 घंटे काम करते थे और जनता के मुद्दों पर तुरंत मंजूरी देते थे। उन्होंने शिंदे को “दुर्लभ और मेहनती सीएम” बताया।

यह बयान ऐसे समय आया है जब महायुति की अंदरूनी राजनीति में तनाव साफ दिख रहा है।

महाराष्ट्र में बढ़ रहा सियासी तनाव—BJP विधायक का गंभीर आरोप

बीजेपी विधायक तानाजी मुटकुले ने शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संतोष बांगर पर बड़ा आरोप लगाया है।

मुटकुले का आरोप, 2022 में पार्टी टूटने के दौरान। संतोष बांगर ने 50 करोड़ रुपये लेकर शिंदे गुट का साथ दिया। पहले बांगर ने जनता से अपील की थी कि वे ठाकरे गुट न छोड़ें लेकिन बाद में उन्होंने खुद ही पाला बदल लिया।

मुटकुले ने यह भी कहा कि बांगर उनके “सहयोगी” नहीं हैं क्योंकि उनकी “विचारधारा अलग है।”

उधर संतोष बांगर ने भी BJP विधायक के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिससे माहौल और गरमा गया है।

सियासी उठापटक में बढ़ी दूरी—Mahayuti की एकजुटता पर सवाल

महाराष्ट्र में लोकल बॉडी चुनाव नजदीक। BJP और शिवसेना (शिंदे) के बीच खींचतान तेज। अंदरूनी आरोप-प्रत्यारोप सार्वजनिक। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या महायुति चुनाव से पहले टूटने की कगार पर है? और क्या दादा भुसे का “शिंदे कमबैक” बयान आने वाले दिनों की सियासत का संकेत है?

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